नमस्ते दोस्तों! क्या आपने कभी थाईलैंड के अद्भुत त्योहारों के बारे में सुना है? जब भी मैं सोशल मीडिया पर या किसी यात्रा ब्लॉग पर थाईलैंड के रंग-बिरंगे उत्सवों की तस्वीरें देखती हूँ, तो मेरा मन बस वहीं खो जाता है!

खासकर, उनके पारंपरिक परिधान, जो इतने भव्य और सुंदर होते हैं कि बस देखते ही रह जाओ। मुझे हमेशा से ये जानने की उत्सुकता रही है कि इन खूबसूरत कपड़ों के पीछे आखिर क्या गहरा अर्थ छुपा होता है, क्योंकि ये सिर्फ पहनने के लिए नहीं होते, बल्कि ये थाई संस्कृति और उनके विश्वासों का प्रतीक होते हैं। तो चलिए, आज हम इसी रहस्य पर से पर्दा उठाते हैं और इन शानदार थाई उत्सव परिधानों के हर पहलू को गहराई से समझते हैं।
थाई पोशाकें: सिर्फ कपड़े नहीं, एक जीवंत कहानी
हर धागे में गुंथी संस्कृति
नमस्ते दोस्तों! थाईलैंड के उत्सवों की बात ही कुछ और होती है, है ना? मुझे याद है, एक बार मैं सोशल मीडिया पर थाईलैंड के ‘सॉन्गक्रान’ त्योहार की तस्वीरें देख रही थी और उनके पारंपरिक परिधानों को देखकर मेरा मन बस वहीं खो गया। उन कपड़ों में सिर्फ रंग और डिज़ाइन नहीं थे, बल्कि मुझे महसूस हुआ कि उनमें कोई गहरी कहानी छिपी है। थाई पारंपरिक पोशाक, जिसे ‘चुत थाई’ कहते हैं, सिर्फ़ एक कपड़ा नहीं है; यह थाईलैंड की आत्मा है, उनके इतिहास की गवाह है और उनके विश्वासों का प्रतीक है। ये परिधान हमें बताते हैं कि थाई लोग अपनी संस्कृति को कितनी गहराई से संजोकर रखते हैं और हर उत्सव में इसे शान से प्रदर्शित करते हैं। जब भी आप इन पोशाकों को देखते हैं, तो ऐसा लगता है मानो आप थाईलैंड के समृद्ध अतीत और उसकी जीवंत परंपराओं में झाँक रहे हों। मैं तो हमेशा सोचती हूँ कि हर त्योहार के लिए ये अलग-अलग खूबसूरत डिज़ाइन कैसे चुने जाते होंगे! यह वाकई कमाल की बात है कि कैसे सदियों पुरानी परंपराएं आज भी उतनी ही जीवंत हैं।
कलात्मकता और आस्था का संगम
थाईलैंड के उत्सवों में पारंपरिक परिधानों का महत्व सिर्फ सुंदरता तक ही सीमित नहीं है। यह आस्था और सम्मान का भी प्रतीक है। मैंने कई ब्लॉग पोस्ट में पढ़ा है कि लोग त्योहारों के दौरान खास कपड़े पहनकर मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनकी श्रद्धा और भक्ति दिखाई देती है। थाई कपड़े बनाने में जिस तरह की बारीक कढ़ाई और बुनाई की तकनीकें इस्तेमाल होती हैं, वे सचमुच अद्भुत हैं। ये कारीगर सदियों से चली आ रही कला को जीवित रखे हुए हैं। मुझे लगता है कि यह सिर्फ कपड़े नहीं हैं, बल्कि पहनने वाले के लिए एक पहचान और गर्व का अनुभव भी हैं। थाईलैंड में आप देखेंगे कि हर क्षेत्र की अपनी खास बुनाई और डिज़ाइन है, जो उस क्षेत्र की पहचान बन जाती है। यह वाकई प्रेरणादायक है कि कैसे वे अपनी विरासत को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं, और इन कपड़ों को पहनकर मुझे भी ऐसा ही गर्व महसूस होता है जैसे मैं खुद थाई संस्कृति का एक हिस्सा बन गई हूँ।
समृद्ध इतिहास की गवाह थाई वेशभूषाएँ
प्राचीन काल से आधुनिक युग तक
थाई पारंपरिक कपड़ों का इतिहास सदियों पुराना है और यह विभिन्न साम्राज्यों और संस्कृतियों के प्रभाव को दर्शाता है। 6वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान, द्वारावती साम्राज्य के समय भारतीय शैलियों का गहरा प्रभाव था, जहाँ लंगोटी और धातु की बेल्ट का चलन था। फिर 7वीं शताब्दी में खमेर संस्कृति का प्रभाव देखने को मिला, जिससे कपड़ों की शैलियों में बदलाव आया। मेरा मानना है कि यह सब बदलाव ही किसी संस्कृति को और भी समृद्ध बनाते हैं। अयुथया युग (14वीं से 18वीं शताब्दी) में महिलाएँ टखने तक लंबी ‘ट्यूब स्कर्ट’ पहनती थीं, और उत्तरी थाईलैंड में तो रंगीन ब्लाउज़ और डिज़ाइनर स्कर्ट बहुत पसंद की जाती थीं। इन सभी ऐतिहासिक प्रभावों ने मिलकर थाईलैंड की वेशभूषा को एक अनूठी पहचान दी है। मुझे तो यह जानकर हमेशा हैरानी होती है कि कैसे इतने पुराने समय से ही फैशन में इतनी विविधता रही है!
रानी सिरिकिट का योगदान
आधुनिक थाई राष्ट्रीय पोशाक के विकास में थाईलैंड की महारानी सिरिकिट का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। 1960 के दशक में, उन्होंने थाईलैंड के लिए एक अद्वितीय राष्ट्रीय पहचान बनाने के उद्देश्य से कुशल कारीगरों और विद्वानों के साथ मिलकर कई औपचारिक ‘चुत थाई’ शैलियों को विकसित किया। उनकी दूरदर्शिता और कालातीत शैली ने इन पारंपरिक परिधानों को आज भी प्रासंगिक बनाए रखा है। ये पोशाकें थाई पहचान के गर्वपूर्ण प्रतीक बन गए हैं। ‘थाई बोरोम्फिमैन’, ‘थाई सिवालाई’ और ‘थाई चक्करी’ जैसी शैलियाँ उनकी देन हैं, जो थाई कलात्मकता को आधुनिक डिज़ाइन के साथ जोड़ती हैं। मैंने खुद देखा है कि कैसे आज भी ये डिज़ाइन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर थाईलैंड का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में थाई प्रतिभागी थाई सांस्कृतिक प्रस्तुति में ऐसे ही परिधान पहनकर मंच पर आते हैं। यह वाकई प्रेरणादायक है कि एक रानी ने अपनी संस्कृति को इतना बढ़ावा दिया।
थाईलैंड के त्योहारों का रंगीन चेहरा: उत्सव परिधान
सॉन्गक्रान से लोई क्रथोंग तक
थाईलैंड में त्योहारों की धूम पूरे साल मची रहती है, और हर त्योहार अपने साथ कुछ खास परिधान लेकर आता है। मुझे याद है, जब मैंने ‘सॉन्गक्रान’ (थाई नव वर्ष) के बारे में पढ़ा था, तो देखा कि लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर पानी के त्योहार का आनंद लेते हैं। इसी तरह, ‘लोई क्रथोंग’ त्योहार में, जहाँ लोग फूलों और मोमबत्तियों से सजे क्रथोंग (छोटी नावें) पानी में बहाते हैं, महिलाएँ अक्सर सुंदर ‘सिंह’ (ट्यूबलर स्कर्ट) और ‘सबई’ (शॉल) पहनती हैं। ये सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि उत्सव की भावना को और भी बढ़ा देते हैं। थाईलैंड में होने वाले विभिन्न बौद्ध उत्सवों में भी पारंपरिक कपड़ों का अपना महत्व है। इन उत्सवों में, आप देखेंगे कि लोग रंगीन और सजे-धजे कपड़ों में मंदिरों में आते हैं, जो वहां के आध्यात्मिक माहौल को और भी पवित्र बना देता है। मेरा तो हमेशा से सपना रहा है कि मैं इन त्योहारों में भाग लूँ और खुद इन खूबसूरत पोशाकों को पहनकर थाईलैंड की संस्कृति का अनुभव करूँ।
शाही समारोहों की भव्यता
सिर्फ त्योहार ही नहीं, शाही समारोहों और महत्वपूर्ण आयोजनों में भी थाई पारंपरिक पोशाकें अपनी पूरी भव्यता के साथ दिखाई देती हैं। ‘चक्करी’ और ‘सिवालाई’ जैसी शैलियाँ विशेष रूप से ऐसे अवसरों के लिए डिज़ाइन की गई हैं। ‘चक्करी’ एक भव्य और सुरुचिपूर्ण पोशाक है जिसमें लंबी ट्यूब स्कर्ट और एक सबाई टॉप होता है, जिसे अक्सर योक नामक पारंपरिक बुनाई तकनीक का उपयोग करके बनाया जाता है। ‘सिवालाई’ एक औपचारिक शाम का गाउन है जिसमें एक लंबी ट्यूब स्कर्ट होती है, जिसके साथ एक ब्लाउज सिल दिया जाता है और कंधे पर एक सबाई लपेटी जाती है। जब मैंने इन पोशाकों की तस्वीरें देखीं, तो मुझे लगा कि ये सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि कला के नमूने हैं! इनमें इस्तेमाल होने वाले सोने या चांदी के धागे से बनी कढ़ाई और बारीक डिज़ाइन इन्हें और भी खास बनाते हैं। इन पोशाकों को देखकर लगता है कि थाईलैंड अपनी परंपराओं को कितनी शान से निभाता है और उनका सम्मान करता है।
हर मौके के लिए एक खास थाई पोशाक
विभिन्न शैलियों का अनूठा मेल
थाईलैंड में कपड़ों की इतनी विविधता है कि आप हर मौके के लिए एक खास शैली पा सकते हैं। ‘चुत थाई’ की कई अलग-अलग शैलियाँ हैं, और हर एक की अपनी अनूठी विशेषताएँ और अर्थ हैं। उदाहरण के लिए, ‘चोंग केबेन’ एक रेशमी वस्त्र है जिसे निचले शरीर पर लपेटा जाता है, और इसे पुरुष व महिला दोनों पहनते हैं। यह कंबोडिया से थाईलैंड आया है और ढीली ब्रीचेस जैसा दिखता है। वहीं, ‘सिंह’ महिलाओं द्वारा कमर के चारों ओर लपेटी जाने वाली पूरी लंबाई वाली ट्यूबलर स्कर्ट है, जो आमतौर पर थाई रेशम से बनी होती है। उत्तरी और पूर्वोत्तर थाईलैंड की महिलाएँ अक्सर ‘सिंह’ पहनती हैं। मैंने देखा है कि कैसे हर डिज़ाइन अपनी एक कहानी कहता है, और पहनने वाले की पहचान को दर्शाता है। यह वाकई अद्भुत है कि एक ही देश में कपड़ों की इतनी रेंज देखने को मिलती है!
पुरुषों की पारंपरिक वेशभूषा
सिर्फ महिलाएँ ही नहीं, पुरुषों के लिए भी थाईलैंड में पारंपरिक वेशभूषा की अपनी खास शैलियाँ हैं। पुरुषों के लिए एक औपचारिक थाई राष्ट्रीय पोशाक ‘सुएआ फ्रात्राचतन’ है, जिसे 1979 में विकसित किया गया था। इसमें सामने से बटन वाला एक लंबा कॉलर और अलग-अलग लंबाई की आस्तीन होती है। उत्तरी थाई पुरुषों के लिए ‘चुत थाई’ में ‘साडो’, एक सफेद मांचू-शैली की जैकेट और कभी-कभी ‘खियान हुआ’ शामिल होता है। ये कपड़े न केवल औपचारिक अवसरों पर पहने जाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों और उत्सवों में भी इन्हें देखा जा सकता है। इन पोशाकों में जिस तरह की सिलाई और डिज़ाइन होती है, वह थाई कारीगरों के कौशल का एक प्रमाण है। मुझे लगता है कि इन कपड़ों को पहनकर कोई भी पुरुष थाई संस्कृति के साथ एक गहरा जुड़ाव महसूस करेगा।
शाही ठाट-बाट से लेकर आम जन की पहचान: चुत थाई के विभिन्न रूप
हर वर्ग के लिए एक शैली
थाईलैंड में चुत थाई की शैलियों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि ये सिर्फ राजघरानों या खास आयोजनों के लिए नहीं हैं, बल्कि आम जनजीवन में भी इनका महत्व है। ‘रूआन टन’ जैसी पोशाक एक अनौपचारिक दो-टुकड़ा पोशाक है जिसमें एक ट्यूब जैसी स्कर्ट और बटन और कोहनी तक की आस्तीन वाला कॉलर रहित ब्लाउज शामिल होता है। इसे अक्सर रोजमर्रा के जीवन में या कम औपचारिक अवसरों पर पहना जाता है। यह दिखाता है कि पारंपरिक थाई कपड़े कितने व्यावहारिक और आरामदायक हो सकते हैं, फिर भी वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहते हैं। वहीं, ‘अमरिन’ एक शाम की पोशाक है जो ब्रोकेड कपड़े से बनी होती है, और इसमें चौड़ी, गोल गर्दन वाली लंबी आस्तीन का ब्लाउज होता है। यह कपड़ा और इसके साथ पहने जाने वाले आभूषण इसकी भव्यता को और बढ़ाते हैं। मुझे यह विविधता बहुत पसंद है, क्योंकि यह दर्शाती है कि संस्कृति कैसे अलग-अलग स्तरों पर मौजूद रहती है।
पारंपरिक थाई पोशाकों के प्रकार
थाईलैंड की पारंपरिक पोशाकें इतनी विविध हैं कि उन्हें समझना अपने आप में एक कला है। यहाँ मैंने कुछ प्रमुख शैलियों को एक छोटी सी तालिका में सूचीबद्ध किया है, ताकि आपको एक ही नज़र में इनका अंदाज़ा हो जाए।
| पोशाक का नाम | विवरण | पहना जाता है |
|---|---|---|
| चोंग केबेन | निचले शरीर पर लपेटा जाने वाला रेशमी वस्त्र, पैंट जैसा | पुरुष और महिला दोनों |
| सिंह | कमर पर लपेटी जाने वाली पूरी लंबाई की ट्यूबलर स्कर्ट | महिलाएँ |
| सबई | एक कंधे पर लपेटा जाने वाला शॉल जैसा वस्त्र | महिलाएँ |
| रूआन टन | अनौपचारिक दो-टुकड़ा पोशाक, स्कर्ट और कॉलर रहित ब्लाउज | महिलाएँ (कम औपचारिक अवसरों पर) |
| चक्करी | भव्य, लंबी स्कर्ट और सबाई टॉप वाली औपचारिक पोशाक | औपचारिक समारोह |
| सिवालाई | लंबी स्कर्ट और सिल दिया गया ब्लाउज, सबाई के साथ | औपचारिक शाम के गाउन के रूप में |
| सुएआ फ्रात्राचतन | सामने बटन वाली लंबी कॉलर वाली जैकेट | पुरुष (औपचारिक अवसरों पर) |
यह सूची देखकर आपको पता चलेगा कि थाईलैंड में कपड़ों की कितनी गहरी समझ है और हर शैली का अपना एक खास महत्व है। मुझे तो इन सभी को एक बार पहनने की इच्छा होती है!

थाई वस्त्रों में कारीगरों की आत्मा
बारीक बुनाई और कलात्मक कढ़ाई
जब भी मैं थाई पारंपरिक कपड़ों को देखती हूँ, तो मुझे उनमें थाई कारीगरों की मेहनत और कलात्मकता साफ दिखाई देती है। इन कपड़ों को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जटिल कढ़ाई और बुनाई की तकनीकें वाकई कमाल की होती हैं। चाहे वह रेशम के धागों से बनी बारीक बुनाई हो या फिर सोने और चांदी के तारों से की गई कढ़ाई, हर धागा एक कहानी कहता है। मैंने पढ़ा है कि इन कपड़ों को बनाने में कई दिन, यहाँ तक कि महीने भी लग जाते हैं, और यह दिखाता है कि कारीगर कितनी लगन से अपना काम करते हैं। यह सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि कला का एक जीवित रूप है जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी संजोया जा रहा है। इन कपड़ों में आपको थाईलैंड के प्राकृतिक सौंदर्य, उनके पौराणिक कथाओं और उनके दैनिक जीवन की झलक भी मिल सकती है। मुझे लगता है कि जब आप ऐसा कोई वस्त्र पहनते हैं, तो आप सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि एक पूरी संस्कृति को अपने साथ लेकर चलते हैं। यह अनुभव मुझे बहुत खास लगता है।
सामग्री और रंग का महत्व
थाई पारंपरिक कपड़ों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और रंगों का भी अपना एक गहरा महत्व है। अक्सर थाई रेशम का इस्तेमाल किया जाता है, जो अपनी गुणवत्ता और चमक के लिए विश्व प्रसिद्ध है। रंगों का चुनाव भी बहुत सोच-समझकर किया जाता है, क्योंकि हर रंग का अपना एक प्रतीकात्मक अर्थ होता है। उदाहरण के लिए, लाल रंग शक्ति और भाग्य का प्रतीक हो सकता है, जबकि सोने का रंग रॉयल्टी और धन को दर्शाता है। त्योहारों और समारोहों में चमकीले और जीवंत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो उत्सव की खुशी और उत्साह को दर्शाता है। जब आप थाईलैंड के किसी बाजार में जाते हैं, तो आपको रंग-बिरंगे कपड़ों का एक मेला दिखाई देगा, और हर कपड़े में आपको एक अलग कहानी मिलेगी। मेरा अनुभव कहता है कि इन रंगों को देखकर मन में एक अलग ही ऊर्जा और खुशी भर जाती है, और यह थाईलैंड की जीवंत संस्कृति का एक बेहतरीन उदाहरण है।
글을마치며
तो दोस्तों, थाई पोशाकें सिर्फ कपड़े नहीं हैं, बल्कि ये थाईलैंड की संस्कृति, इतिहास और कला का एक जीता-जागता प्रमाण हैं। हर धागा, हर कढ़ाई वहाँ के लोगों की मेहनत, आस्था और रचनात्मकता की कहानी कहता है। मेरी मानें तो इन कपड़ों में एक अलग ही आकर्षण है, जो पहनने वाले को थाईलैंड की परंपराओं से जोड़ देता है। मुझे लगता है कि इन खूबसूरत परिधानों के बारे में जानकर हमें न केवल उनकी विरासत की गहराई का पता चलता है, बल्कि यह भी समझ आता है कि कैसे एक देश अपनी पहचान को इतने सुंदर तरीके से बनाए रखता है। चाहे वह शाही समारोह हो या कोई स्थानीय त्योहार, थाई पोशाकें हमेशा अपनी शान और गरिमा के साथ मौजूद रहती हैं। जब मैंने पहली बार ‘चुत थाई’ की तस्वीरें देखी थीं, तो मुझे लगा था कि यह सिर्फ एक फैशन है, लेकिन जैसे-जैसे मैंने इनके बारे में और जाना, मुझे महसूस हुआ कि यह तो एक पूरी गाथा है। मुझे उम्मीद है कि आपको भी इन परिधानों के पीछे की कहानी पसंद आई होगी और आप भी थाईलैंड की इस अद्भुत विरासत से जुड़ पाए होंगे। यह वाकई एक ऐसा अनुभव है जो हमें दुनिया की विविधता और सुंदरता से रूबरू कराता है।
알아두면 쓸모 있는 정보
1. थाईलैंड यात्रा के दौरान, आप स्थानीय बाजारों से पारंपरिक थाई रेशम के कपड़े खरीद सकते हैं। ये न केवल एक सुंदर यादगार होंगे, बल्कि थाई कारीगरों का समर्थन करने का भी एक तरीका होगा। मुझे खुद ऐसे बाजार घूमना बहुत पसंद है जहाँ स्थानीय कला और शिल्प मिलता है।
2. अगर आप किसी थाई त्योहार में शामिल होते हैं, तो पारंपरिक थाई पोशाक पहनना एक अद्भुत अनुभव हो सकता है। इससे आप स्थानीय संस्कृति में और भी गहराई से घुल-मिल जाएंगे और लोगों के बीच आपकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। मैंने देखा है कि लोग इससे बहुत खुश होते हैं।
3. थाईलैंड में कई जगहों पर आप पारंपरिक थाई पोशाक किराए पर लेकर तस्वीरें खिंचवा सकते हैं। यह सोशल मीडिया के लिए बेहतरीन कंटेंट बनाने का एक मजेदार तरीका है और साथ ही आपको थाई परंपरा का अनुभव भी मिलेगा। मुझे तो ऐसी तस्वीरें खींचना बहुत पसंद है!
4. थाई पोशाकों में रंगों का चयन अक्सर प्रतीकात्मक होता है। लाल रंग शक्ति, सुनहरा रंग रॉयल्टी और सफेद रंग पवित्रता को दर्शाता है। यह जानकर आप अपने लिए सही पोशाक चुन सकते हैं। मैंने यह छोटी सी बात बहुत बाद में सीखी।
5. थाईलैंड के पारंपरिक वस्त्रों की देखभाल के लिए उन्हें हाथ से धोना और सीधे धूप में सुखाने से बचना चाहिए ताकि उनके रंग और रेशम की गुणवत्ता बनी रहे। यह सलाह मैंने स्थानीय लोगों से सीखी है और यह बहुत काम आती है।
중요 사항 정리
आज हमने थाई पारंपरिक पोशाकों की दुनिया की सैर की और जाना कि ये सिर्फ परिधान नहीं, बल्कि थाई संस्कृति और पहचान का अहम हिस्सा हैं। थाईलैंड की महारानी सिरिकिट के योगदान से लेकर अलग-अलग त्योहारों और शाही समारोहों में इनके उपयोग तक, हर पहलू ने हमें इनकी गहराई से रूबरू कराया। हमने देखा कि कैसे ‘चुत थाई’ की हर शैली – चाहे वह ‘चोंग केबेन’ हो, ‘सिंह’ हो या ‘चक्करी’ – अपनी एक खास कहानी कहती है और थाई लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है। इन वस्त्रों में थाई कारीगरों की कला, उनकी मेहनत और बारीक बुनाई की तकनीकें साफ झलकती हैं। मुझे लगता है कि थाईलैंड ने अपनी इस विरासत को जिस तरह से सहेज कर रखा है, वह वाकई प्रेरणादायक है। ये पोशाकें हमें बताती हैं कि कैसे कोई संस्कृति अपने इतिहास और परंपराओं को आधुनिक युग में भी जीवंत रख सकती है। आशा है कि इस यात्रा ने आपके ज्ञान में वृद्धि की होगी और आपको थाईलैंड की इस खूबसूरत कला से जुड़ने का मौका मिला होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: थाईलैंड के त्योहारों में पहने जाने वाले सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक परिधान कौन-कौन से हैं और उनकी खासियत क्या है?
उ: अरे वाह! यह तो बहुत ही शानदार सवाल है, क्योंकि थाईलैंड के पारंपरिक परिधानों की दुनिया इतनी रंगीन और विविध है कि बस क्या कहूँ! मैंने जब पहली बार थाई सिल्क की चमक देखी थी, तो सच कहूँ, मेरी आँखें खुली की खुली रह गई थीं। वहाँ के सबसे प्रसिद्ध परिधानों में ‘चुट थाई’ (ชุดไทย) सबसे ऊपर आता है, जो दरअसल अलग-अलग शैलियों का एक समूह है, जैसे चुट थाई चकरी, चुट थाई सीवालई, चुट थाई बोरमफिरमन और भी बहुत कुछ। आपने शायद थाईलैंड की रानियों और राजकुमारियों को तस्वीरों में जिस शाही अंदाज़ में देखा होगा, वो अक्सर चुट थाई चकरी ही होता है, जिसमें एक शानदार सिल्क का लंबा ‘पा नंग’ (एक तरह की लपेटी हुई स्कर्ट) होता है और ऊपर एक खूबसूरत ब्लाउज। इसमें अक्सर एक ‘सेबई’ (एक कंधे पर डाला जाने वाला कपड़ा) भी होता है, जो इसे और भी भव्य बना देता है। फिर एक ‘चुट थाई सीवालई’ है, जो दिखने में कुछ हद तक चकरी जैसा ही है, पर इसमें दुपट्टे की जगह कंधे पर एक लंबा शॉल जैसा कपड़ा होता है, और यह अक्सर औपचारिक अवसरों के लिए पहना जाता है। मुझे याद है, एक बार मैंने थाईलैंड के एक स्थानीय मेले में कुछ महिलाओं को ‘साबन’ (Sabai) पहने देखा था, जिसमें वे बिना सिला हुआ कपड़ा खूबसूरती से अपने बदन पर लपेटे हुए थीं, और वे इतनी एलिगेंट लग रही थीं कि मैं उनसे नज़रें नहीं हटा पा रही थी!
ये सभी परिधान सिर्फ कपड़े नहीं हैं, बल्कि ये थाईलैंड के गौरवशाली इतिहास और कला का जीता-जागता प्रमाण हैं, हर धागे में कहानियाँ छिपी हुई हैं। ये इतने आरामदायक और साथ ही इतने भव्य होते हैं कि मुझे हमेशा लगता है कि काश मैं भी इन्हें पहन पाती और वहाँ के त्योहारों में शामिल हो पाती!
प्र: थाई पारंपरिक परिधानों में इस्तेमाल होने वाले रंगों, डिज़ाइनों और पैटर्न का क्या महत्व होता है? क्या वे किसी खास संदेश को दर्शाते हैं?
उ: बिल्कुल! थाई पारंपरिक परिधानों में हर रंग, हर डिज़ाइन और हर पैटर्न का अपना एक गहरा मतलब होता है। यह सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि एक पूरी कहानी है जिसे कपड़ों के ज़रिए बुना जाता है। मैंने अपनी रिसर्च और कुछ थाई मित्रों से बातचीत के दौरान जाना है कि थाईलैंड में रंग बहुत मायने रखते हैं। उदाहरण के लिए, सोना और लाल रंग अक्सर रॉयल्टी, धन और शुभता से जुड़े होते हैं, जिन्हें आप शाही परिधानों और मंदिरों के उत्सवों में खूब देखेंगे। नीला रंग आमतौर पर शांति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है, जबकि हरा रंग विकास और समृद्धि को दर्शाता है। आपने अगर ध्यान दिया हो, तो थाई सिल्क पर बने पैटर्न अक्सर प्रकृति से प्रेरित होते हैं – जैसे कमल के फूल, हाथी, ड्रैगन, या mythical जीव। कमल का फूल बौद्ध धर्म में पवित्रता और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है, और इसे कपड़ों पर देखना बहुत आम है। वहीं, हाथियों के पैटर्न शक्ति और शाही संरक्षण को दर्शाते हैं, जबकि ड्रैगन और mythical जीव अक्सर संरक्षक के रूप में देखे जाते हैं, जो बुराई से बचाते हैं। जब मैं इन बारीक डिज़ाइनों को देखती हूँ, तो मुझे लगता है कि हर परिधान पहनने वाले की आस्था, उसकी सामाजिक स्थिति और उस विशेष अवसर की भावना को व्यक्त करता है। ऐसा लगता है मानो वे अपने शरीर पर ही अपनी संस्कृति और अपनी कहानियों को पहनते हैं, और यह देखना सचमुच एक अद्भुत अनुभव होता है!
प्र: थाईलैंड के प्रमुख त्योहारों और समारोहों में पारंपरिक परिधानों को कैसे और क्यों पहना जाता है?
उ: यह तो बहुत ही मज़ेदार पहलू है, क्योंकि थाईलैंड में त्योहारों की धूम तो हमेशा रहती है और हर त्योहार का अपना एक अलग रंग होता है! जब बात पारंपरिक परिधानों की आती है, तो वे इन उत्सवों की जान होते हैं। उदाहरण के लिए, सॉन्गक्रान (Songkran), जो थाई नव वर्ष का त्योहार है और पानी के उत्सव के रूप में जाना जाता है, उसमें लोग अक्सर हल्के और आरामदायक सूती कपड़े पहनना पसंद करते हैं, ताकि पानी खेलने में कोई दिक्कत न हो। लेकिन, शाम को जब वे मंदिरों में जाते हैं या परिवार के साथ समारोहों में शामिल होते हैं, तो वे अक्सर रंगीन और थोड़े पारंपरिक ‘पा टूंग’ या ‘साबन’ जैसे परिधान पहनते हैं। वहीं, लोई क्रथोंग (Loy Krathong), रोशनी और प्रार्थनाओं का त्योहार, मेरे पसंदीदा त्योहारों में से एक है!
इस दौरान मैंने देखा है कि महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने सबसे खूबसूरत पारंपरिक परिधानों में सजते हैं। महिलाएं अक्सर ‘चुट थाई’ की सबसे भव्य शैलियाँ पहनती हैं, जिसमें चमकीले रंग और सुंदर कढ़ाई होती है, और पुरुष भी पारंपरिक थाई शर्ट और ‘जोंगकबेन’ (एक तरह की थाई पैंट) पहनते हैं। इसका कारण यह है कि लोई क्रथोंग एक आध्यात्मिक त्योहार है जहाँ वे नदियों और जल देवियों का सम्मान करते हैं, और ऐसे पवित्र अवसर पर सबसे अच्छे कपड़े पहनना सम्मान और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। मैंने खुद महसूस किया है कि जब आप पारंपरिक परिधानों में सजते हैं, तो आप उस संस्कृति और त्योहार से और भी गहराई से जुड़ जाते हैं। यह सिर्फ कपड़े पहनना नहीं, बल्कि उस परंपरा का हिस्सा बनना है, और थाई लोग इस भावना को बहुत अच्छे से समझते हैं और जीते भी हैं!





